Shakambhari Mata, Sambhar |
पौराणिक राजा ययाति की दोनों रानियों-देवयानी और शर्मिष्ठा के नाम पर एक विशाल सरोवर व कुण्ड आज भी यहाँ विद्यमान हैं, जो इस क्षेत्र के प्रमुख तीर्थ स्थलों के रूप में विख्यात हैं।
Sambhar Lake |
साँभर पर चौहान राजवंश का शताब्दियों तक आधिपत्य रहा। चौहानकाल में साँभर और उसका निकटवर्ती क्षेत्र 'सपादलक्ष' (सवा लाख की जनसंख्या या सवा लाख की राजस्व वसूली वाला क्षेत्र) कहलाता था।
ज्ञात इतिहास के अनुसार चौहान वंश के शासक वासुदेव ने सातवीं शताब्दी में साँभर झील और साँभर नगर की स्थापना शाकम्भरी देवी के मंदिर के पास में की। विक्रम संवत 1226 (1169 ई.) के बिजोलिया शिलालेख में चौहान शासक वासुदेव को साँभर झील का निर्माता व वहाँ के चौहान राज्य का संस्थापक उल्लेखित किया गया है।
साँभर सातवीं ई. तक अर्थात वासुदेव के राज्यकाल से 1115 ई. में उसके वंशज अजयराज द्वारा अजयमेरु दुर्ग या अजमेर की स्थापना कर अधिक सुरक्षित समझकर वहाँ राजधानी स्थानान्तरित करने तक शाकम्भरी इस यशस्वी चौहान राजवंश की राजधानी रही।
शाकम्भरी माता का मंदिर
Shakambhari Mata Temple, Sambhar |
शाकम्भरी दुर्गा का एक नाम है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- शाक से जनता का भरण-पोषण करने वाली। शाकम्भरी माता का मंदिर साँभर से लगभग 18 कि.मी. दूर अवस्थित है। शाकम्भरी देवी का स्थान एक सिद्धपीठ स्थल है जहाँ विभिन्न वर्गों और धर्मों के लोग आकर अपनी श्रद्धा-भक्ति निवेदित करते हैं।
साँभर के पास जिस पर्वतीय स्थान में शाकम्भरी देवी का मंदिर है,वह स्थान कुछ वर्षों पहले तक जंगल की तरह था और यह घाटी 'देवी की बनी' कहलाती थी। समस्त भारत में शाकम्भरी देवी का सर्वाधिक प्राचीन मंदिर यही है जिसके बारे में यह प्रसिद्ध है की देवी की प्रतिमा भूमि से स्वतः अविर्भूत हुई थी।
शाकम्भरी देवी की पीठ के रूप में साँभर की प्राचीनता महाभारत काल तक चली जाती है। महाभारत (वनपर्व), शिव पुराण (उमा संहिता), मार्कण्डेय पुराण आदि पौराणिक ग्रन्थों में शाकम्भरी की अवतार-कथाओं में शाकादि प्रसाद दान द्वारा धरती के भरण-पोषण कथायें उल्लेखनीय हैं।
प्रतिवर्ष भादवा सुदी अष्टमी को शाकम्भरी माता का मेला भरता है। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु देवी के दर्शनार्थ यहाँ आते हैं। चैत्र तथा आसोज के नवरात्रों में यहां विशेष चहल-पहल रहती है। यहाँ तीर्थयात्रियों व श्रद्धालुओं के विश्राम हेतु धर्मशालाओं की समुचित व्यवस्था है।
शाकम्भरी देवी के मंदिर के समीप उसी पहाड़ी पर मुग़ल बादशाह जहांगीर द्वारा सन 1627 में एक गुम्बज व पानी के कुण्ड का निर्माण कराया था जो अद्यावधि वहाँ विद्यमान है।
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jai maa
ReplyDeleteJai Maa Shakambhari Devi
ReplyDeleteJai ho Shakambhari Mata ki.. Jai ho Sambhar vali Mata
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