भीषण अकाल में जन-जन का भरण पोषण करने वाली शाकम्भरी माता "Shakambhari Mata- Sambhar"

Shakambhari Mata, Sambhar
           शाकम्भरी देवी (Shakambhari Mata) का प्राचीन सिद्धपीठ जयपुर जिले के साँभर (Sambhar) क़स्बे में स्थित है। शाकम्भरी माता साँभर की अधिष्ठात्री देवी हैं। साँभर एक प्राचीन कस्बा है जिसका पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्त्विक महत्त्व है। साँभर का शताब्दियों का गौरवशाली इतिहास और अपनी विशेष सांस्कृतिक पहचान रही है। एशिया की सबसे बड़ी नमक उत्पन्न करने वाली नमक की झील भी यहीं है। यहाँ शाकम्भरी देवी के मंदिर के अतिरिक्त
पौराणिक राजा ययाति की दोनों रानियों-देवयानी  और शर्मिष्ठा के नाम पर एक विशाल सरोवर व कुण्ड आज भी यहाँ विद्यमान हैं, जो इस क्षेत्र के प्रमुख तीर्थ स्थलों के रूप में विख्यात हैं।
Sambhar Lake
        शाकम्भरी के नामकरण के विषय में  उल्लेख है की एक बार इस भू-भाग में भीषण अकाल पड़ने पर देवी ने शाक वनस्पति के रूप में अंकुरित हो जन-जन की बुभुक्षा शांत कर उनका भरण पोषण किया तभी से इसका नाम शाकम्भरी पड़ गया, जिसका अपभ्रंश ही साम्भर है। शाकम्भरी माता का मंदिर साँभर से 18-19 कि.मी. दूर साँभर झील के पेटे में स्थित है, जहाँ दर्शनार्थी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। साँभर का ऐतिहासिक और पुरातात्त्विक महत्त्व भी अत्यधिक है। प्रसिद्ध पुरातत्त्ववेत्ता रायबहादुर दयाराम साहनी ने साँभर के पास नालियासर में उत्खनन करवाकर इस क्षेत्र की पुरातात्त्विक सम्पदा को प्रकाश में लाने का स्तुत्य कार्य किया था। साँभर का ऐतिहासिक महत्त्व भी काम नहीं है। पुरातात्त्विक साक्ष्यों से पता चलता है की ईसा की तीसरी शताब्दी के लगभग यहाँ एक समृद्धशाली नगर विकासमान था।
         साँभर पर चौहान राजवंश का शताब्दियों तक आधिपत्य रहा। चौहानकाल में साँभर और उसका निकटवर्ती क्षेत्र 'सपादलक्ष' (सवा लाख की जनसंख्या या सवा लाख की राजस्व वसूली वाला क्षेत्र) कहलाता था।
          ज्ञात इतिहास के अनुसार चौहान वंश के शासक वासुदेव ने सातवीं शताब्दी में साँभर झील और साँभर नगर की स्थापना शाकम्भरी देवी के मंदिर के पास में की। विक्रम संवत 1226 (1169 ई.) के बिजोलिया शिलालेख में चौहान शासक वासुदेव को साँभर झील का निर्माता व वहाँ के चौहान राज्य का संस्थापक उल्लेखित किया गया है।
          साँभर सातवीं ई. तक अर्थात वासुदेव के राज्यकाल से 1115 ई. में उसके वंशज अजयराज द्वारा अजयमेरु दुर्ग या अजमेर की स्थापना कर अधिक सुरक्षित समझकर वहाँ राजधानी स्थानान्तरित करने तक शाकम्भरी इस यशस्वी चौहान राजवंश की राजधानी रही।
                   
                                                शाकम्भरी माता का मंदिर 
Shakambhari Mata Temple, Sambhar

      शाकम्भरी दुर्गा का एक नाम है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- शाक से जनता का भरण-पोषण करने वाली।     शाकम्भरी माता का मंदिर साँभर से लगभग 18 कि.मी. दूर अवस्थित है। शाकम्भरी देवी का स्थान एक सिद्धपीठ स्थल है जहाँ विभिन्न वर्गों और धर्मों के लोग आकर अपनी श्रद्धा-भक्ति निवेदित करते हैं।
      साँभर के पास जिस पर्वतीय स्थान में शाकम्भरी देवी का मंदिर है,वह स्थान कुछ वर्षों पहले तक जंगल की तरह था और यह घाटी 'देवी की बनी' कहलाती थी। समस्त भारत में शाकम्भरी देवी का सर्वाधिक प्राचीन मंदिर यही है जिसके बारे में यह प्रसिद्ध है की देवी की प्रतिमा भूमि से स्वतः अविर्भूत हुई थी।
      शाकम्भरी देवी की पीठ के रूप में साँभर की प्राचीनता महाभारत काल तक चली जाती है। महाभारत (वनपर्व), शिव पुराण (उमा संहिता), मार्कण्डेय पुराण आदि पौराणिक ग्रन्थों में शाकम्भरी की अवतार-कथाओं में शाकादि प्रसाद दान द्वारा धरती के भरण-पोषण  कथायें  उल्लेखनीय हैं।
        प्रतिवर्ष भादवा सुदी अष्टमी को शाकम्भरी माता का मेला भरता है। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु देवी के दर्शनार्थ यहाँ आते हैं। चैत्र तथा आसोज के नवरात्रों में यहां विशेष चहल-पहल रहती है। यहाँ तीर्थयात्रियों व श्रद्धालुओं के विश्राम हेतु धर्मशालाओं की समुचित व्यवस्था है।
         शाकम्भरी देवी के मंदिर के समीप उसी पहाड़ी पर मुग़ल बादशाह जहांगीर द्वारा सन 1627 में एक गुम्बज व पानी के कुण्ड का निर्माण कराया  था जो अद्यावधि  वहाँ विद्यमान है। 

Shakambhari Mata Mandir Sambhar Jaipur Rajasthan, Shakambhari Mata Temple Sambhar Jaipur Rajasthan, Shakambhari Mata in Hindi, Sambhar Mata, Shakambhari Devi, Shakambari Mata, Devyani and Sharmistha, Chauhan King Vasudeva and Shakambhari Mata, Mughal Emperor Jahangir and Shakambhari Mata, Shakambhari Mata in Mahabharat Vana Parva, Shiv Puran, Markandeya Puran, sambhar,sambhar rajasthan,shakambari devi sambhar, shakambari mata sambhar,
Share on Google Plus

About Sanjay Kumar Sharma

A Blogger working to illuminate Indian heritage and culture.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

3 comments:

मिशन कुलदेवी से जुडने के लिये आपका धन्यवाद