धनोप के वैभव की साक्षी - धनोपमाता "Dhanop Mata- Bhilwara"

Dhanop Mata: Bhilwara
                  भीलवाड़ा जिले में शाहपुरा से लगभग 30 की. मी. उत्तर-पूर्व में स्थित धनोप ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व का प्राचीन स्थान है । यहाँ से विभिन्न अवसरों पर खुदाई के समय सजीव और कलात्मक मूर्तियाँ,मिट्टी के बर्तन,पक्की ईंटे,पत्थर के उपकरण,सिक्के,अलंकृत जालियाँ,झरोखे आदि का मिलना यह संकेतित करता है कि अतीत्त में यह एक समृद्धशाली नगर रहा होगा ।
                   धनोप में एक ऊँचे रेतीले टीले पर देवी का प्राचीन मन्दिर बना है जिसमें विक्रम संवत 912 भादवा सदि 2 का शिलालेख लगा है जिससे पता चलता है कि देवी का यह मन्दिर ग्यारह सौ वर्ष से ज्यादा पहले निर्मित है । धनोप गाँव के आधार पर इस मन्दिर की देवी धनोपमाता के नाम से प्रसिद्ध है ।
                   जनश्रुति है कि अपने उत्कर्ष काल में धनोप बारह कोष की परिधि में विस्तृत एक समृद्धशाली नगर था, जिसमें अनेक सुंदर भवन, भव्य मंन्दिर, विशाल बावड़ियाँ, कुण्ड आदि बने । 
                    नगर के दोनों ओर खारी व मानसी नदियाँ बहती थी जो अब भी विध्यमान हैं । जनश्रुति है कि प्राचीन काल में यह किसी राजा धुंध की नगरी थी जिसे ताम्बवती नगरी भी कहा जाता था । राजा धुंध के नाम से ही इस नगर का नाम धनोप पड़ा । धनोपमाता उसकी कुलदेवी थी । 
                     देवी के इस प्राचीन मन्दिर में अन्नपूर्णा, चामुण्डा और कालिकामाता की अत्यन्त सजीव और कलात्मक प्रतिमाएँ प्रतिष्ठापित हैं जो पूर्वाभिमुख हैं । वहाँ भैरु जी का स्थान तथा शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश व चौसठ योगनियों की प्रतिमाएँ भी विद्यमान हैं । मन्दिर के प्रवेश द्वार पर शिशु को गोद में लिए चतुर्भुजी देवी प्रतिमा (अम्बिका) सजीव और भावपूर्ण है । मन्दिर के भव्य सभामण्डप के विषय में कहा जाता है कि यह पृथ्वीराज चौहान (तृतीय) के शासनकाल में बना था । वैसे तो दर्शनार्थी प्रतिदिन देवी दर्शन के लिए मन्दिर में आते हैं पर नवरात्र में धनोपमाता का मेला भरता है । यात्रियों की सुविधा के लिए धर्मशालाएँ और विश्रामगृह भी बने हैं ।

Dhanop Mata: Bhilwara, धनोपमाता: भीलवाड़ा
Share on Google Plus

About Sanjay Kumar Sharma

A Blogger working to illuminate Indian heritage and culture.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

1 comments:

मिशन कुलदेवी से जुडने के लिये आपका धन्यवाद