Sugali Mata Auwa |
स्वतंत्रता सेनानियों का दमन कर आऊवा के किले पर अधिकार करते ही अंग्रेजों ने महाविकराल माँ शक्ति की इस प्रतिमा को आऊवा के किले से हटा दिया। अंग्रेजो को यह भय था कि देवी की इस मूर्ति (सुगालीमाता) में विश्वास कर वहाँ के आंदोलनकारियों में विद्रोही की भावना जागृत होती है । अंग्रेज इस मूर्ति को पहले आबू ले गये तथा सन् 1908 में अजमेर में राजपूताना म्यूजियम खुलने पर देवी की यह मूर्ति अजमेर म्यूजियम भेज दी गई।
सुगालीमाता की यह मूर्ति काली (शक्ति) का कोई तांत्रिक स्वरूप है। देवी राक्षस के ऊपर क्रोधित मुद्रा में खड़ी है और राक्षस धरती पर अधोमुख (अौंधा) पड़ा है। देवी राक्षस पर नृत्य की अवस्था में है। देवी के 10 सिर ओऱ 54 हाथ है। एक मुख मानव का है तथा अन्य मुँह वभिन्न पशुओं के है। देवी के सभी हाथों में विभिन्न प्रकार के आयुध है। गले में मुण्डमाला सुशोभित है जो घुटनों तक निचे लटकी हुई है। मूर्ति की ऊचाँई 3 फुट 8 इन्च के लगभग है। देवी प्रतिमा की चौड़ाई 2 फुट 5 इन्च है।
आऊवा की सुगालीमाता 1857 ई. के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की प्रेरणास्त्रोत होने के कारण उसका अपना महत्त्व है।
मूल मूर्ती के मंदिर से विस्थापन के बाद कालान्तर में सुगाली माता की नवीन मूर्ती स्थापित कर दी गयी।
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Sugali Mata ki Jai... Jai Auwa ki Sugali Mata
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