नाडौल की आशापूरा देवी / महोदरीमाता "Ashapura Mata- Nadol"

Ashapura Mata Nadol
               आशापूरा (Ashapura Mata) शाकम्भरी के चौहान राजवंश की कुलदेवी थी । नैणसी की ख्यात का उल्लेख है की लखनसी चौहान को नाडौल का राज्य आशापूरा देवी की कृपा से मिला । तदनन्तर चौहान इसे अपनी कुलदेवी मानने लगे । आशा पूर्ण करने वाली देवी आशापूरा के नाम से विख्यात हुई ।
                  लखनसी या लक्ष्मण नामक चौहान शासक द्वारा नाडौल में आशापूरा देवी का भव्य मन्दिर बनवाया गया जहाँ  बड़ी संख्या में श्रद्धालु जाते हैं । आशापूरा गाँव की एक पहाड़ी पर देवी आशापूरा का प्राचीन स्थल है जँहा देवी को मीठा भोग लगता हैं । भाद्रपद और चैत्रमास की अष्टमी को विशेेष उत्सव होता है । सैकड़ो वर्षों से आशापूरादेवी की बहुत मान्यता है । विग्रहराज द्वितीय ने अपने सैन्य अभियान के समय भड़ौच में आशापूरा का मन्दिर बनवाया था । सोमेश्वर और पृथ्वीराज तृतीय के सिक्कों पर "आशावरी" शब्द उत्कीर्ण मिलता हैं ।
                   जालौर से 40 की. मी. दूर मोदरा गाँव में भी आशापूरामाता का भव्य और प्रसिद्ध मन्दिर है । इस मन्दिर में विक्रम संवत 1532 का एक शिलालेख विध्यमान है जिससे ज्ञात होता है की यह आशापूरा देवी का मन्दिर था वर्तमान में ये देवी महोदरीमाता (बड़े पेट वाली देवी) के नाम से प्रसिद्ध है । जालौर के सोनगरा चौहान की शाखा नाडौल से उठकर ही जालौर आयी थी । 

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1 comments:

  1. Jai Ashapura Mata... Jai Nadol ki Maiya

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मिशन कुलदेवी से जुडने के लिये आपका धन्यवाद