दधिसागर मथने वाली "दधिमथीमाता" "Dadhimati Mata"

Dadhimati Mata
                       नागौर जिले की जायल (Jayal) तहसील में जिला मुख्यालय से लगभग 40 की.मी. उत्तर-पूर्व में दधिमथीमाता (Dadhimati Mata) का प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर अवस्थित है।
               इस मंदिर के आस पास का प्रदेश प्राचीन काल में दधिमथी (दाहिमा) क्षेत्र कहलाता था। उस क्षेत्र से निकले हुए विभिन्न जातियों के लोग, यथा ब्राह्मण,राजपूत,जाट  आदि दाहिमे ब्राह्मण, दाहिमे राजपूत, दाहीमे जाट कहलाये।
                दाहिमा (दधीचक) ब्राह्मणों की कुलदेवी को समर्पित यह देव भवन भारतीय स्थापत्य एवं मूर्तिकला का गौरव है। श्वेत पाषाण से निर्मित यह शिखरबद्ध मंदिर पूर्वाभिमुख है तथा महामारु (Mahamaru) शैली के मंदिर का श्रेष्ठ उदाहरण है। वेदी की सादगी जंघा भाग की रथिकाओं में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, मध्य भाग में रामायण दृश्यावली एवं शिखर प्रतिहारकालीन परम्परा के अनरूप है।
                 यह मंदिर प्रतिहार नरेश भोजदेव प्रथम  (836-892 ई.) के समय में बना है। इस मंदिर से चमत्कार की अनेक कथाएँ जूड़ी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार विकटासुर नामक दैत्य संसार के समस्त पदार्थों का सारतत्व चुराकर दधिसागर में जा छिपा था देवताओं की प्रार्थना पर स्वयं आदिशक्ति ने अवतरित होकर विकटासुर का वध किया और सब पदार्थ पुनः सत्वयुक्त हुए। दधिसागर को मथने के कारण देवी का नाम दधिमती पड़ा।
                   एक अन्य जनश्रुति के अनुसार प्राचीन में महाराजा मान्धाता के यज्ञकुण्ड से माघ शुक्ल सप्तमी के दिन देवी दधिमती प्रकट हुई। लोकविश्वास के अनुसार यह विशालकाय भव्य मंदिर अपने सम्पूर्ण रूप में जमीन से स्वतः प्रकट हुआ है। इस सम्बन्ध में जनश्रुति है की प्राचीन काल में किसी समय देवी की यह प्रतिमा तीव्र ध्वनि के साथ धरती से निकलना प्रारम्भ हुई तो इतनी तेज आवाज हुई की जिसे सुनकर कर आसपास के ग्वाले व गायें भयभीत होकर वहाँ से भाग गए। इस कारण माता का कपाल मात्र ही बाहर निकल पाया। वर्तमान में चाँदी का टोपा कपाल पर रखा है, जिसमे माता का चेहरा अंकित है।
                    दधिमथीमाता के इस विशाल मंदिर का विक्रम संवत 1906 के लगभग दाहिमा ब्रह्मचारी विष्णुदास तथा तदनन्तर दाहिमा ब्राह्मण महासभा द्वारा नवीनीकरण एवं जीर्णोद्धार करवाया गया। इस मंदिर में चैत्र अश्विन के नवरात्रों में मेले लगते है।
दधिमथी माता झांकी दर्शन 

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About Sanjay Kumar Sharma

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2 comments:

मिशन कुलदेवी से जुडने के लिये आपका धन्यवाद