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प्रतीकात्मक चित्र |
उदयपुर से लगभग 48 कि. मी. दूर हल्दीघाटी के पास ऊनवास गाँव में दुर्गामाता का एक प्राचीन मन्दिर है जो लोकमानस में पिप्पलादमाता (Piplad Mata) के नाम से प्रसिद्ध है । इस मन्दिर से प्राप्त विक्रम संवत 1016 (960 ई.) के एक शिलालेख से मन्दिर की प्राचीनता और उसके पिप्पलादमाता नामकरण का पता चलता है । इस शिलालेख के प्रारंभ में माँ सरस्वती की वन्दना की गयी है । ऊनवास के इस देवी मन्दिर में महिषमर्दिनी के शान्त एवं कल्याणकारी स्वरूप को प्रदर्शित किया गया है । मन्दिर के गर्भगृह की तीन प्रमुख ताकों में चामुण्डा, क्षेमकरी और महिषमर्दिनी की मूर्तियाँ प्रतिष्ठापित है इस मन्दिर और जगत के अम्बिका मन्दिर के समकालीन है तथा इस मन्दिर का निर्माण भी गुहिल शासक अल्ल्ट (विक्रम संवत 1010) के राज्यकाल में हुआ । अतः जगत का अम्बिका मन्दिर ऊनवास के इस देवी मन्दिर के समकालीन है । इस मन्दिर में देवी के वरद रूप की दिव्यता को प्रस्त्तुत किया गया है ।
दसवीं शताब्दी के मध्य में बने इस दुर्गा मन्दिर (पिप्पलादमाता) का शिखर ईंटों का है जैसा की चित्तौड़ में है । यह मन्दिर मातृपूजा परम्परा के अन्तर्गत उन मन्दिरों की श्रेणी में आता है जहां एकान्तिक रूप से शक्ति के किसी स्वरूप की ही आराधना होती है । देवी दुर्गा के सौम्य स्वरुप को समर्पित इस मन्दिर की यही प्रमुख विशेषता है ।
Pippalad Mata: Unwas (Udaipur), Piplad Mata, ऊनवास की पिप्पलादमाता, पिप्पलादमाता: ऊनवास(उदयपुर)
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Sanjay Kumar Sharma
A Blogger working to illuminate Indian heritage and culture.
Our Kuldevi Gotra Kaushalya Upadhyaya Bhatt...
ReplyDeleteDashora Brahmin.
Pippalad Mata ki Jai... Jai ho Unwas ki Maiya..
ReplyDeletePiplad Mata ki Jai
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