जगत की उत्पत्ति सहित जितनी भी सांसारिक और ब्रह्माण्डीय क्रियाएं हैं उन सबके कर्ता शिव हैं। समस्त ब्रह्माण्ड की धुरी शिव हैं। ज्ञाता एकमात्र शिव हैं। निमित्त भी एकमात्र शिव हैं। संसार को नियमित रखने वाले शिव हैं। और जिस अचेतन शक्ति में माध्यम से शिव में कर्तृत्व भाव है वह आदिशक्ति है। आदिशक्ति जो शिव की अर्धाङ्गिनी है, वह शिव की पूरक भी है। किसी भी अचेतन शक्ति के द्वारा कोई क्रिया नहीं हो सकती उसे किसी माध्यम की आवश्यकता होती ही है उसी प्रकार कोई भी माध्यम बिना शक्ति के कार्य नहीं कर सकता। आदिशक्ति का महत्त्व प्रतिपादित करने वाला मत शाक्त मत है।
एक भाष्यकार जो शाक्त मत के विरोधी थे, एक बार शाक्त मत का खण्डन करने काश्मीर गए। वहां जाते ही उनका स्वास्थ्य इतना बिगड़ा कि उनमें उठने-बैठने की तो क्या बोलने की भी शक्ति नहीं रह गई। तब एक बारह वर्ष की कन्या उनके समीप आकर उनसे कहती है कि-
'क्या आप शाक्त मत का खण्डन कर सकते हैं?'
भाष्यकार ने निर्बलता के कारण धीरे से कहा 'देवी! मैं आया तो इसी विचार से हूँ, लेकिन अभी मुझमे बोलने की शक्ति नहीं है, जब मुझमें शक्ति आ जायेगी, तभी मैं कुछ कह सकूंगा। इस समय बिना शक्ति के कुछ नहीं कर सकता।' तब कन्या ने कहा कि 'हे विद्वत्तम ! जब आप शक्ति के बिना कुछ कर ही नहीं सकते तब शाक्त-मत का खण्डन कैसे करेंगे?' मैं शिव की शक्ति शिवा हूँ, शिव तो एक ध्रुव, अचल कूटस्थ और एकरस हैं, उनमें किसी प्रकार की क्रिया नहीं हो सकती। क्रिया ना होने से ना तो कोई शिव को ही जान सकता है और ना ही शिव किसी को जान सकते हैं। क्रिया संपन्न होने के लिए ही शिव ने मेरी रचना की है। जिसके बिना आप कुछ भी नहीं कर सकते, उसका खण्डन आप कैसे कर सकेंगे। यद्यपि मैं शिव से भिन्न नहीं हूँ, क्योंकि बिना शिव के मेरी सत्ता ही नहीं है, फिर भी शिव को, स्वयं को और जगत को मैं ही तो सिद्ध करती हूँ, तो सबकी सिद्धि करने वाली का खण्डन आप नहीं कर पायेंगे।
कौनसी हैं षट् शक्ति >>
आदिशक्ति के वचनों से आचार्यजी का समाधान हो गया और वे काश्मीर से लौट आये।
शिव जो शक्तिमान् हैं, उनसे शक्ति भिन्न नहीं है। यहाँ शक्ति भक्तों की भावना के अनुसार अनेक प्रकट रूपों को धारण करती है; जैसे महाकाली, दुर्गा, महालक्ष्मी, महासरस्वती, अन्नपूर्णा इत्यादि। क्रिया के अनुसार शक्ति के अनेक नाम हैं। चूँकि शक्ति शिव से भिन्न नहीं है, इस कारण इसको शिव की शक्ति कहते हैं। संसार को उत्पन्न करने की क्रिया भी यही शक्ति करती है, इस कारण इसे प्रकृति कहते है।
Aadishakti: Power of Shiva
Jai Maa Aadishakti
ReplyDeleteJai Maa Adishakti.. Jai Maa Bhagwati.. Jai Jagadamba.. Jai Maa Ambe
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