कायस्थ जाति अपनी वंशोत्पत्ति ब्रह्मा के पुत्र चित्रगुप्त से मानते हैं। चित्रगुप्त ने दो विवाह किए। प्रथम विवाह धर्मशर्मा ऋषि की पुत्री ऐरावती के साथ किया जिनसे चारु, सुचारु, चित्र, मतिमान, हिमवान, चित्रचारु, अरुण, जितेन्द्री नाम के आठ पुत्र हुए। दूसरा विवाह मनु की पुत्री दक्षिणा के साथ हुआ। दक्षिणा से भानू, विमान, बुद्धिमान, वीर्यमान नाम के चार पुत्र हुए। इन बारह पुत्रों के वंश में क्रम से 12 शाखायें कायस्थों की अलग-अलग क्षेत्रों में रहने से हो गई, जो इस प्रकार है- 1. माथुर 2. श्रीवास्तव 3. सूर्यध्वज 4. निगम 5. भटनागर 6. सक्सेना 7. गौड़ 8. अम्बष्ठ 9. वाल्मिकी 10. अष्टाना 11. कुलश्रेष्ठ 12. कर्ण ।
राजस्थान में माथुर कायस्थ अधिक आबाद है। इन्हें पंचोली भी कहा जाता है। 'कायस्थ जगत' नामक पत्रिका में माथुर (कायस्थ) वर्ग की 84 शाखाओं का नामोल्लेख कुलदेवियों के साथ मिलता है, जो इस प्रकार है-
कुलदेवी शाखाएं
1. जीवण माता - बनावरिया (झांमरिया), टाक, नाग, ताहानपुरा, गऊहेरा
2. बटवासन माता - साढ़ मेहंता (भीवांणी), अतरोलिया, तनोलिया, टीकाधर
3. मंगलविनायकी - सहांरिया (मानक भण्डारी)
4. पीपलासन माता - नैपालिया (मुन्शी), घुरू, धूहू
5. यमुना माता - राजोरिया, कुस्या
6. ककरासण माता - एंदला (नारनोलिया)
7. भांणभासकर - छार छोलिया
8. अंजनी माता - शिकरवाल, सेवाल्या, विदेवा (बैद)
9. कुलक्षामिणी माता - नौहरिया (लवारिया)
10. बीजाक्षण माता - सांवलेरिया, कुलहल्या, जलेश्वरिया
11. राजराजेश्वरी माता - जोचबा
12. श्रीगुगरासण माता - सिरभी
13. हुलहुल माता - कामिया (गाडरिया), कटारमला, कौटेचा, गडनिया, सौभारिया, महाबनी, नाग पूजा हुसैनिया
14. चामुण्डा माता - चोबिसा (कोल्ली), जाजोरिया, मोहांणी, मगोडरिया,पासोदिया (पासीहया)
15. आशापुरा माता - ककरानिया, गलगोटिया, दिल्लीवाल, करना, धनोरिया, गुवालैरिया, कीलटौल्या
16. श्रीसाउलमाता - सीसोल्या (मनाजीतवाल), ध्रुबास
17. श्रीपाण्डवराय माता - नौसरिया (मेड़तवाल), बकनोलिया, भांडासरिया
18. श्रीदेहुलमाता - तबकलिया
19. श्री जगन्नामाता - कुरसोल्या
20. नारायणी माता - वरणी (खोजा)
21. कमलेश्वरी माता - हेलकिया
22. पुरसोत्मामाता - सिरोड़िया
23. कमलासन माता - सादकिया, छोलगुर
24. महिषमर्दिनी - महिषासुरिया
25. द्रावड़ी हीरायन - कटारिया
26. लक्ष्मीमाता - कलोल्या, आंबला
27. योगाशिणी माता - चन्देरीवाल
28. चण्डिका माता - पत्थर चट्टा, छांगरिया
29. जयन्ती माता - मासी मुरदा
30. सोनवाय माता - अभीगत, टंकसाली
31. कणवाय माता - माछर
32. पाड़मुखी माता - कबांणिया
33. हर्षशीलि माता - तैनगरा
34. इंद्राशिणी माता - धोलमुखा (गोड़ा)
35. विश्वेश्वरी माता - मथाया
36. अम्बा माता - धीपला
37. ज्वालामुखी माता - होदकसिया
38. शारदा माता - बकनिया
39. अर्बुदा माता - कवड़ीपुरिया (बकहुपुरा)
40. कुण्डासण माता - सींमारा
41. पाडाय माता - माखरपुरिया, पुनहारा
42. हींगुलाद माता - सरपारा
43. प्राणेश्वरी माता - लोहिया
44. बेछराय माता - सिणहारिया
45. सांवली माता - वरण्या (बरनोल्या)
46. लक्ष्मीया हलड़ - आसौरिया (आसुरिय)
47. पहाड़ाय माता - फूलफगरसूहा (नोहगणा)
इसके अलावा भटनागर, सक्सेना और श्रीवास्तव की कुलदेवियों का भी उल्लेख मिलता है।
कायस्थ शाखा गोत्र कुलदेवी
भटनागर सठ जयन्ती माता
सक्सेना हंस शाकम्भरी माता
श्रीवास्तव हर्ष लक्ष्मी माता
सन्दर्भ :- राजस्थान की कुलदेवियां (डॉ विक्रमसिंह भाटी), कायस्थ जगत ।
जिन कुलदेवियों के नाम इस विवरण में नहीं हैं उन्हें शामिल करने हेतु सर्वेक्षण-प्रपत्र अथवा नीचे दिए कमेण्ट बॉक्स में विवरण आमन्त्रित है।
Kuldevi of Kayastha, Kuldevi of Mathur, Kuldevi of Bhatnagar, Kuldevi of Saxena, Kuldevi of Shrivastava, Kuldevi of Pancholi, Kayastha Samaj ki Kuldeviya
राजस्थान में माथुर कायस्थ अधिक आबाद है। इन्हें पंचोली भी कहा जाता है। 'कायस्थ जगत' नामक पत्रिका में माथुर (कायस्थ) वर्ग की 84 शाखाओं का नामोल्लेख कुलदेवियों के साथ मिलता है, जो इस प्रकार है-
कुलदेवी शाखाएं
1. जीवण माता - बनावरिया (झांमरिया), टाक, नाग, ताहानपुरा, गऊहेरा
2. बटवासन माता - साढ़ मेहंता (भीवांणी), अतरोलिया, तनोलिया, टीकाधर
3. मंगलविनायकी - सहांरिया (मानक भण्डारी)
4. पीपलासन माता - नैपालिया (मुन्शी), घुरू, धूहू
5. यमुना माता - राजोरिया, कुस्या
6. ककरासण माता - एंदला (नारनोलिया)
7. भांणभासकर - छार छोलिया
8. अंजनी माता - शिकरवाल, सेवाल्या, विदेवा (बैद)
9. कुलक्षामिणी माता - नौहरिया (लवारिया)
10. बीजाक्षण माता - सांवलेरिया, कुलहल्या, जलेश्वरिया
11. राजराजेश्वरी माता - जोचबा
12. श्रीगुगरासण माता - सिरभी
13. हुलहुल माता - कामिया (गाडरिया), कटारमला, कौटेचा, गडनिया, सौभारिया, महाबनी, नाग पूजा हुसैनिया
14. चामुण्डा माता - चोबिसा (कोल्ली), जाजोरिया, मोहांणी, मगोडरिया,पासोदिया (पासीहया)
15. आशापुरा माता - ककरानिया, गलगोटिया, दिल्लीवाल, करना, धनोरिया, गुवालैरिया, कीलटौल्या
16. श्रीसाउलमाता - सीसोल्या (मनाजीतवाल), ध्रुबास
17. श्रीपाण्डवराय माता - नौसरिया (मेड़तवाल), बकनोलिया, भांडासरिया
18. श्रीदेहुलमाता - तबकलिया
19. श्री जगन्नामाता - कुरसोल्या
20. नारायणी माता - वरणी (खोजा)
21. कमलेश्वरी माता - हेलकिया
22. पुरसोत्मामाता - सिरोड़िया
23. कमलासन माता - सादकिया, छोलगुर
24. महिषमर्दिनी - महिषासुरिया
25. द्रावड़ी हीरायन - कटारिया
26. लक्ष्मीमाता - कलोल्या, आंबला
27. योगाशिणी माता - चन्देरीवाल
28. चण्डिका माता - पत्थर चट्टा, छांगरिया
29. जयन्ती माता - मासी मुरदा
30. सोनवाय माता - अभीगत, टंकसाली
31. कणवाय माता - माछर
32. पाड़मुखी माता - कबांणिया
33. हर्षशीलि माता - तैनगरा
34. इंद्राशिणी माता - धोलमुखा (गोड़ा)
35. विश्वेश्वरी माता - मथाया
36. अम्बा माता - धीपला
37. ज्वालामुखी माता - होदकसिया
38. शारदा माता - बकनिया
39. अर्बुदा माता - कवड़ीपुरिया (बकहुपुरा)
40. कुण्डासण माता - सींमारा
41. पाडाय माता - माखरपुरिया, पुनहारा
42. हींगुलाद माता - सरपारा
43. प्राणेश्वरी माता - लोहिया
44. बेछराय माता - सिणहारिया
45. सांवली माता - वरण्या (बरनोल्या)
46. लक्ष्मीया हलड़ - आसौरिया (आसुरिय)
47. पहाड़ाय माता - फूलफगरसूहा (नोहगणा)
इसके अलावा भटनागर, सक्सेना और श्रीवास्तव की कुलदेवियों का भी उल्लेख मिलता है।
कायस्थ शाखा गोत्र कुलदेवी
भटनागर सठ जयन्ती माता
सक्सेना हंस शाकम्भरी माता
श्रीवास्तव हर्ष लक्ष्मी माता
सन्दर्भ :- राजस्थान की कुलदेवियां (डॉ विक्रमसिंह भाटी), कायस्थ जगत ।
जिन कुलदेवियों के नाम इस विवरण में नहीं हैं उन्हें शामिल करने हेतु सर्वेक्षण-प्रपत्र अथवा नीचे दिए कमेण्ट बॉक्स में विवरण आमन्त्रित है।
Kuldevi of Kayastha, Kuldevi of Mathur, Kuldevi of Bhatnagar, Kuldevi of Saxena, Kuldevi of Shrivastava, Kuldevi of Pancholi, Kayastha Samaj ki Kuldeviya
Kayastha Samaj ki Kuldeviya.. Bahut Achi disha me kam kar rahe h.. Keep it up
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