Nakti Mata / Nakchi Mata Jai Bhawanipura Jaipur |
Nakti Mata / Nakchi Mata Temple Jai Bhawanipura Jaipur |
देवी के इस मन्दिर में कोई शिलालेख नहीं मिला है जिससे इसके निर्माण की सही तिथि और निर्माताओं के बारे में प्रामाणिक जानकारी का आभाव है । अपने विशिष्ट स्थापत्य और शैलीगत विशेषताओं के कारण यह प्रतिहार शासकों द्वारा निर्मित जान पड़ता है । इसका निर्माण आठवीं नवीं शताब्दी ई. के लगभग हुआ जो प्रतिहार कला का उत्कर्ष काल था तथा इस समय श्रेष्ठतम प्रतिहार मूर्तियाँ बनीं । ढूंढाड़ क्षेत्र में इसके उदाहरण आभानेरी के हर्षतमाता मन्दिर तथा आम्बेर के कल्याणराय मन्दिर में प्रतिष्ठापित देव प्रतिमाओं में देखे जा सकते हैं । जयभवानीपुरा का यह मन्दिर भी उनके समकालीन प्रतीत होता है ।
Idols "Garbh-Grih" Gate in Nakti Mata / Nakchi Mata Temple |
उपलब्ध साक्ष्यों से पता चलता है कि यह मूलतः दुर्गा का मन्दिर था । दुर्गा भवानी के मन्दिर के कारण ही सम्भवतः यह गाँव जयभवानीपुरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
इस मन्दिर की आराध्या देवी का नकटीमाता नामकरण के पीछे यह लोकविश्वास है कि ये देवी गाँववासियों को चोर लुटेरों की गतिविधियों से सावचेत करती थीं अतः इस देवी प्रतिमा को अपने उद्देश्यों की पूर्ति में विघ्न मानकर इन लोगों ने देवी प्रतिमा को नाक के पास से खण्डित कर दिया था तथा तत्पश्चात् वे नकटीमाता के नाम से जानी जाने लगी ।
Nakti Mata / Nakchi Mata Temple Jai Bhawanipura Jaipur |
मन्दिर के कर्ण प्रतिरथ और भद्रा नामक तीन अंगों पर एक-एक ताक या रथिका हैं जिनमें दिकपाल, अप्सराएं, गणेश एवं स्कन्द कार्तिकेय की सुन्दर और सजीव प्रतिमाएँ विध्यमान हैं । मन्दिर के प्रवेश द्वार के दायीं ओर इन्द्र की खड़ी हुई प्रतिमा है जिसमें इन्द्र अपने बाएं हाथ में (खण्डित) वज्र लिए हुए प्रदर्शित हैं । इसके अलावा अग्नि, वायु, यम, वरुण और कुबेर इत्यादि की सजीव और कलात्मक मूर्तियाँ मन्दिर की बाहरी ताकों में है जो उसकी शोभा को द्विगुणित करती हैं । नकटीमाता मन्दिर की उत्तर दिशा की दाहिनी ताक में विराजमान चार भुजाओं वाले गणेश की प्रतिमा बहुत आकर्षक है । इसी तरह मन्दिर की बायीं ओर की ताक में मयूर की सवारी किए कार्तिकेय की सजीव प्रतिमा है । देवी मन्दिर की पश्चिमी ताक एकदम खाली है ।
नकटीमाता मन्दिर का मुख़ालिन्द या पोर्च दो तराशे हुए सुदृढ़ पाषाण स्तम्भों से निर्मित है जो स्वास्तिक और कीर्तिमुख इत्यादि से अलंकृत है । इसके भीतर की छत कमल पुष्पों से सज्जित है ।
वर्तमान में मन्दिर के गर्भ गृह की पीठ पर जो प्रतिमा प्रतिष्ठापित है वह सम्भवतः देवी काली की प्रतिमा है जिनके मुख का नासिका वाला भाग खण्डित है।
वर्तमान में मन्दिर के गर्भ गृह की पीठ पर जो प्रतिमा प्रतिष्ठापित है वह सम्भवतः देवी काली की प्रतिमा है जिनके मुख का नासिका वाला भाग खण्डित है।
Nakchi Mata ki Jai... Jai Maa Nakti Devi
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